Margasheersha Month 2024: कल से शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष, जानें क्यों भगवान कृष्ण को प्रिय है यह महीना

Editorial Team
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हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास, जिसे अगहन मास भी कहते हैं, इस वर्ष 16 नवंबर 2024 से शुरू हो रहा है। यह महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, और इसे भगवान कृष्ण का प्रिय मास माना गया है। इस महीने में की गई पूजा, दान और व्रत का विशेष फल मिलता है।

मार्गशीर्ष का धार्मिक महत्व

भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है:
“मासानां मार्गशीर्षोऽहम्”।
इसका अर्थ है कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इसका संकेत है कि यह मास सभी महीनों में श्रेष्ठ है। इस दौरान भक्त भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

भगवान कृष्ण को क्यों प्रिय है मार्गशीर्ष मास?

  1. ध्यान और साधना का समय:
    मार्गशीर्ष मास ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस मास में की गई भक्ति से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ सकता है।
  2. फसल कटाई और नए जीवन का प्रतीक:
    इस महीने को नए जीवन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, क्योंकि यह समय फसल कटाई का होता है।
  3. भगवान कृष्ण की विशेष कृपा:
    इस मास में भगवान कृष्ण के नाम जप और कथा सुनने से व्यक्ति को उनके विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष मास में करने वाले कार्य

  1. तुलसी पूजा:
    प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास दीप जलाना और विष्णु मंत्रों का जप करना शुभ माना जाता है।
  2. दान-पुण्य का महत्व:
    इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र और धन का दान करना बहुत फलदायी होता है।
  3. भगवान कृष्ण और विष्णु की पूजा:
    श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना और श्रीकृष्ण को मक्खन और मिश्री का भोग लगाना इस मास में विशेष लाभकारी है।
  4. गंगा स्नान:
    मार्गशीर्ष के हर गुरुवार को गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इसे मोक्षदायक माना गया है।

मार्गशीर्ष मास में क्या न करें?

  1. झूठ और अपशब्दों से बचें:
    इस मास को पवित्र माना जाता है, इसलिए झूठ बोलने और किसी का अपमान करने से बचना चाहिए।
  2. अलस और आलस्य न करें:
    इस मास में भक्ति और ध्यान का समय होता है, इसलिए आलस्य त्याग कर सत्कर्मों में लिप्त रहें।

मार्गशीर्ष मास की पौराणिक कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि को तीन पग भूमि मांगकर पाताल लोक भेजा था। इस मास को भगवान विष्णु की उपासना का उत्तम समय माना जाता है।

मार्गशीर्ष का वैज्ञानिक महत्व

यह समय सर्दियों का होता है और इस दौरान ध्यान व योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ संतुलित आहार और नियमित जीवनशैली अपनाने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है।

निष्कर्ष
मार्गशीर्ष मास धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान कृष्ण के प्रिय इस मास में किए गए सत्कर्मों का फल अनेक गुना होता है। इस महीने में दान, ध्यान, और पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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