हर धातु को सोने में बदलने वाली तरकीब जानते थे नागार्जुन, जानिए भारत के सबसे महान रसायनशास्त्री के बारे में! – BeingHindu

Editorial Team
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भारत के ऐतिहासिक पन्नो में दर्ज कई ऐसे महान पुरुषों की गाथाएं मिलती हैं, जो आज भी प्रेरणा से कम नहीं हैं। इस लेख द्वारा हम करीब तीन हजार वर्ष पहले रसायन विज्ञान और धातु विज्ञान के इतिहास को जानेंगे।

प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक नागार्जुन ने मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही रसायन शास्त्र के क्षेत्र में शोध कार्य शुरू कर दिया था। वे भारत के रसायन शास्त्री, धातु कर्मी और चिकित्सक थे। उन्होंने इन सब पर कई पुस्तके भी लिखी हैं। कहा जाता है कि नागार्जुन किसी भी धातु को सोने में बदल देते थे।

प्राचीन भारत (Ancient India) 3 हजार साल पहले भी रसायन विज्ञान (Chemistry) और धातु विज्ञान (Metallurgy) में आगे था। इस बात का अनुमान 1600 वर्ष पूर्व बने दिल्ली के महरौली में मौजूद ‘लौह स्तंभ’ से लगाया जा सकता है, जिसमें आज तक जंक नहीं लगी है।

कहां हुआ था नागार्जुन का जन्म?

नागार्जुन (Nagarjun) के जन्म के विषय में 11वीं शताब्दी में ‘अल-बिरुनी ‘ में दर्ज किंवदंतियां का कहना है कि उनका जन्म गुजरात में स्थित दहाक ग्राम में 10वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ था। वही चीनी और तिब्बती साहित्य का कहना है कि उनका जन्म वैदेह में हुआ फिर वे नजदीक के सातवाहन वंश में चले गए।

नागार्जुन ने प्राचीन भारत के महान रसायन शास्त्री और धातु विज्ञान पर कई शोध कार्य किए। शोध कार्य करने के दौरान उन्होंने कई पुस्तकों की रचना भी की, जिसमें ‘रस रत्नाकर’ और ‘रसेंद्र मंगल’ काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। उन्होंने अपनी किताब रस रत्नाकर में कई धातुओं को शुद्ध करने की विधियां बताई हुई हैं। इतना ही नहीं इस किताब में किसी भी प्रकार के धातुओं को सोना में परिवर्तित करने की भी विधियां बताई गई हैं।

‘अमृत’ की खोज

राजघराने से संबंध रखने वाले नागार्जुन हमेशा शोध कार्य में ही व्यस्त रहते थे। उन्होंने ने अमृत की खोज करने के लिए एक बड़ी लैब भी बनवाई थी, जिसमें वे अपना अधिकतर समय बिताते थे। वहीं वे ज्यादातर अविष्कार किया करते थे और इसी दौरान उन्होंने कितनी कोशिशों के बाद उस विधि की खोज निकाली, जिसमें किसी भी धातु को सोने में बदला जा सकता था।

रोगों से मुक्ति के लिए शोध

नागार्जुन ने ऐसे कई औषधियों की खोज की, जिससे रोगों को खत्म किया जा सकता था। उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में पारे पर भी कई प्रयोग किए। नागार्जुन ने पारे को शुद्ध करना और औषधीय प्रयोग की विधियां भी विस्तार से बताई हैं।

कैसे हुई नागार्जुन की मृत्यु?

औषधियों की खोज के बाद नागार्जुन ने अमर होने वाली चीजों की खोज करनी आरंभ कर दी। इस खोज में वे दिन रात लगे रहते थे, जिसके कारण उनके राज्य में अव्यवस्था फैलने लगी। जब यह बात उनके बेटे ने उन्हें बताई और राज्य पर ध्यान देने के लिए कहा, तब उन्होंने बताया कि वह अमर होने वाली औषधी बना रहे हैं। इस बात से उनके बेटे को भी खुशी हुई लेकिन उन्होंने ये बातें अपने दोस्तों को बता दी। इसी कारण साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई और नागार्जुन का सपना अधूरा रह गया।
– know about greatest chemist Nagarjuna of India who used to convert any metal into gold

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