Mangala Gauri Vrat 2025: सावन में मंगला गौरी व्रत का है बहुत महत्व, महिलाओं को मिलता है विशेष लाभ

Editorial Team
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सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. सावन मास में सोमवार का दिन बहुत ही खास होता है. सावन में सोमवार दिन का जितना महत्व होता है, उतना ही महत्व मंगलवार दिन का भी होता है. इसीलिए सावन में आने वाले सभी मंगलवार का विशेष महत्व होता है. मंगला गौरी व्रत सावन मास के हर मंगलवार को रखा जाता है. यह व्रत अखंड सुहाग और संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है. यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्या दोनों ही रखती हैं. मंगला गौरी व्रत बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है. आइए जानते हैं इस बार कितने मंगला गौरी व्रत होंगे और इस व्रत की क्या है तारीख है…

मंगलागौरी व्रत कब से शुरू
मंगला गौरी व्रत की शुरुआत 15 जुलाई दिन मंगलवार से होगी. पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को रखा जाएगा. इस बार कुल 4 मंगला गौरी व्रत होंगे. इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है. धार्मिक मान्यताएं है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं

मंगला गौरी व्रत डेट

  • पहला मंगलवार: 15 जुलाई 2025

  • दूसरा: 22 जुलाई 2025

  • तीसरा: 29 जुलाई 2025

  • चौथा: 5 अगस्त 2025

मंगला गौरी व्रत का महत्व
सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत रखती है. मंगला गौरी व्रत रखने पर घर परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे. इस व्रत को रखने से पति पत्नी के बीच के रिश्ते मधुर होते हैं. इसके अलावा संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है. यदि किसी कन्या के विवाह में बाधाएं आ रही है या कुंडली में मांगलिक दोष है तो वह भी इस व्रत को रख सकते हैं.

1. इस व्रत से दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
2. मंगला गौरी सुहाग और गृहस्थ सुख की देवी मानी जाती हैं।
3. इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है।
4. यह माता का आठवां स्वरूप है। इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है।
5. दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है। यह माता वृषभ पर

मंगला गौरी व्रत विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. माता गौरी के सामने घी का दीपक जलाकर रखें. इसके बाद पति और पत्नी दोनों मिलकर भगवान शिव को पहले वस्त्र अर्पित करें और माता गौरी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. इस बात का ध्यान रखें की माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का पूरा सामान अर्पित करें. आज अक्षत, फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं और धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. इसके बाद दोनों पति पत्नी माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा करें. अंत में मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ और माता पार्वती जी की आरती करें. शाम में आप फलाहार कर सकते हैं.

मंगला गौरी व्रत करने के लाभ :
1. भविष्य और नार पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अतः इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है।
2. ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। अतः ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
इसके अलावा आप ॐ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं।

पूजा में इन बातों का रखें विशेष ख्याल
1. जब आप लगातार पांच साल तक मंगला गौरी व्रत रख लें तो पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष में सावन माह के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन जरूर कर दें। उद्यापन के बिना ये व्रत पूरा नहीं माना जाएगा।
2. इस बात का भी ख्याल रखें की मां मंगला गौरी व्रत के दौरान माता को 16 महिलाएं, आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और सुहाग सामग्री अर्पित करते रहें।

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