क्यों मनाई जाती है कामदा एकादशी ? जानिए कामदा एकादशी मनाये जाने का कारण!

Editorial Team
7 Min Read

हिंदू पंचांग के अनुसार कामदा एकादशी साल की पहली एकादशी है। इसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। बता दें, कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा। पुराणों में इस एकादशी व्रत को भगवान विष्णु का अत्यंत उत्तम व्रत कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की वासुदेव रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और सभी पापों से भी छुटकारा मिल सकता है। अब ऐसे में कामदा एकादशी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

कामदा एकादशी के दिन क्या करना चाहिए?

कामदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत संकल्प लें।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना विशेष रूप से करने का विधान है।
कामदा एकादशी के दिन रात्रि में पूजा करना चाहिए और जागरण करना चाहिए। एकादशी के अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए।
एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और पूजा-पाठ करना चाहिए।
इस तिथि के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर विदा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
इस दिन भजन-कीर्तन विशेष रूप से करना चाहिए।
एकादशी तिथि के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के प्रिय फूल और फल जरूर अर्पित करना चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बनी रहती है।

कामदा एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

कामदा एकादशी के दिन पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए।
एकादशी तिथि के दिन बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए।
इस दिन व्रती सोने से बचें।
एकादशी तिथि के दिन ब्राह्मण को बिना भोजन और दक्षिणा दिए नहीं भेजना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और व्रत का फल नहीं मिलता है।
इस दिन मांस-मदिरा का सेवन करने से बचें।
इस दिन किसी भी व्यक्ति को अपशब्द बोलने से बचना चाहिए।
कामदा एकादशी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। इसके बारे में इस लेख को विस्तार से पढ़ें और अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

कामदा एकादशी का क्या है महत्व? व्रत रखने से होंगे ये लाभ

मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान पूरी करते है इसलिए इसे फलदा एकादशी या कामदा एकादशी भी कहा जाता है

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी मनाई जाती है. सोमवार को वैष्णव जन की कामदा एकादशी है. एक दिन पहले स्मार्त साधू संत एकादशी मनाते हैं. इस दिन विष्णु भगवान का व्रत किया जाता है. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस बार कामदा एकादशी 4 अप्रैल, शनिवार के दिन है.
व्रत पूजा से लाभ-
कामदा एकादशी के दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत करने से हर तरह के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान पूरी करते है. इसलिए इसे फलदा एकादशी या कामदा एकादशी भी कहा जाता है. अगर आपका पति या बच्चा बुरी आदतों का शिकार हो तो भी कामदा एकादशी का व्रत रख सकते हैं.

कामदा एकादशी की व्रत विधि क्या है?

– एकादशी को निर्जला व्रत करना होता है.
– सुबह स्नान करके सफ़ेद पवित्र वस्त्र पहनें और विष्णु देव की पूजा करें.
– विष्णु देव को पीले गेंदे के फूल, आम या खरबूजा, तिल, दूध और पेड़ा चढ़ाएं.
– ॐ नमो भगवते वासुदेवाये का जाप करें.
– मंदिर के पुजारी को भोजन करवाकर दक्षिणा दें.

कामदा एकादशी की व्रत कथा क्या है?

कहा जाता है कि पुण्डरीक नामक नागों का एक राज्य था. यह राज्य बहुत वैभवशाली और संपन्न था. इस राज्य में अप्सराएं, गन्धर्व और किन्नर रहा करते थे. वहां ललिता नाम की एक अतिसुन्दर अपसरा भी रहती थी. उसका पति ललित भी वहीं रहता था. ललित नाग दरबार में गाना गाता था और अपना नृत्य दिखाकर सबका मनोरंजन करता था. इनका आपस में बहुत प्रेम था
दोनों एक दूसरे की नज़रों में बने रहना चाहते थे. राजा पुण्डरीक ने एक बार ललित को गाना गाने और नृत्य करने का आदेश दिया. ललित नृत्य करते हुए और गाना गाते हुए अपनी अपसरा पत्नी ललिता को याद करने लगा, जिससे उसके नृत्य और गाने में भूल हो गई. सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता उपस्थित थे, जिन्होंने पुण्डरीक नामक नाग राजा को ललित की गलती के बारे में बता दिया था. इस बात से राजा पुण्डरीक ने नाराज होकर ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया.
इसके बाद ललित एक अयंत बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया. उसकी अप्सरा पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई. ललिता अपने पति की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढने लगी. तब एक मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. ललिता ने मुनि के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पूण्य लाभ अपने पति को दे दिया. व्रत की शक्ति से ललित को अपने राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया.

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *