भारतीय संस्कृति में हर पर्व का गहरा आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व होता है। उन्हीं में से एक है नाग पंचमी, जो वर्षा ऋतु के श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से नागों (सर्पों) की पूजा और प्रकृति के सम्मान के लिए समर्पित है।
नाग पंचमी 2025 में यह पर्व Tuesday, July 29, 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी नागों की पूजा करके सुख-शांति और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
नाग पंचमी का पौराणिक महत्व
नाग पंचमी का वर्णन स्कंद पुराण, महाभारत और विभिन्न पुराणों में मिलता है। महाभारत में उल्लेख है कि जब जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु के कारण सर्पों का सर्वनाश करने के लिए यज्ञ किया था, तब तक्षक नाग समेत सभी नाग संकट में पड़ गए थे। उस समय आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रोककर नाग जाति का उद्धार किया। उसी घटना की स्मृति में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन सर्पों की पूजा कर उन्हें दूध, लड्डू, कुशा, दूब, और फूल चढ़ाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता प्रसन्न होकर परिवार को सुरक्षा, आरोग्य और संतान सुख प्रदान करते हैं।
12 प्रमुख नागों की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में कुल 12 प्रमुख नागों का उल्लेख मिलता है जिनकी नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा की जाती है। ये नाग हैं:
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अनंत
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वासुकी
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शेष
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पद्म
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महापद्म
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तक्षक
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कुलिक
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कर्कोटक
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धृतराष्ट्र
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शंखपाल
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कालिया
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पिंगल
इन नागों में से शेषनाग को भगवान विष्णु का शय्या माना जाता है, जबकि वासुकी नाग समुद्र मंथन में मंथन की रस्सी बने थे। तक्षक वही नाग हैं जिन्होंने राजा परीक्षित को डसा था। हर नाग की अपनी विशेष भूमिका है और उनकी पूजा हमारे जीवन के दोषों, विशेषकर कालसर्प दोष, से मुक्ति दिला सकती है।
पूजा विधि और नियम
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा आमतौर पर चित्र या मिट्टी की प्रतिमा के रूप में की जाती है। गांवों में आज भी नागों के बिल के पास जाकर पूजा करने की परंपरा जीवित है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
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प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल पर नाग देवता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
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कच्चे दूध, फूल, धूप, दीप, चंदन और लड्डू से पूजा करें।
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मंत्रों का जाप करें:
“नमः सर्पेभ्यो ये के च पृथिव्याम निलयन्ते ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः” -
व्रती दिनभर व्रत रखते हैं और केवल फलाहार करते हैं।
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सांप को दूध पिलाने की परंपरा अब कई जगहों पर पर्यावरणीय कारणों से बंद की जा रही है और केवल सांकेतिक पूजा की जाती है।
नाग पंचमी का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय पक्ष
नाग पंचमी केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। वर्षा ऋतु में सांप अपने बिलों से बाहर आते हैं और इस समय उन्हें नुकसान होने की संभावना होती है। नाग पंचमी के दिन उनके प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना जागती है।
प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी सांप खेतों के लिए उपयोगी होते हैं, क्योंकि वे चूहों जैसे फसल नष्ट करने वाले जीवों का संतुलन बनाए रखते हैं। इसलिए नागों को देवी-देवता के रूप में पूजना एक प्रकार से प्रकृति पूजा है, जो हमारे पूर्वजों की गहरी समझ को दर्शाता है।
नाग पंचमी और लोक संस्कृति
नाग पंचमी केवल धर्म तक सीमित नहीं है, यह भारत की लोक संस्कृति का भी अहम हिस्सा है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकगीत, लोकनृत्य और विशेष भोजन की परंपरा है। महिलाएं घर की दीवारों पर गोबर और मिट्टी से नाग की आकृति बनाकर पूजा करती हैं।
इस दिन मल्हार, पिंगला और नाग-नागिन के गीतों का गायन होता है। घरों के दरवाजों और रसोई के पास नाग की आकृति बनाकर दूध अर्पित किया जाता है। यह सब दर्शाता है कि यह पर्व समाज और संस्कृति को जोड़ने का भी काम करता है।
नाग पंचमी 2025 में Tuesday, July 29, 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व हमें धर्म, प्रकृति और संस्कृति की एकता का स्मरण कराता है। 12 प्रमुख नागों की पूजा कर हम न केवल आध्यात्मिक बल प्राप्त करते हैं, बल्कि पारिवारिक सुख-शांति, आरोग्य और संतान सुख की भी कामना करते हैं।
यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हर जीव, चाहे वह कितना भी भयावह क्यों न लगे, उसका अपना स्थान और महत्व है। नाग पंचमी, श्रद्धा और संरक्षण दोनों का संगम है।
नाग पंचमी 2025 तिथि और मुहूर्त:
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तिथि: Tuesday, July 29, 2025
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Panchami Tithi Begins – 11:24 PM on Jul 28, 2025Panchami Tithi Ends – 12:46 AM on Jul 30, 2025
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पूजा मुहूर्त: 05:41 AM to 08:23 AM (स्थानीय पंचांग के अनुसार)
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व्रत विधि: फलाहार, सांपों की प्रतीकात्मक पूजा, कालसर्प दोष की शांति हेतु मंत्र जाप
