वर्ष 2025 में दिवाली (मुख्य लक्ष्मी पूजन दिवस) इस दिन पड़ेगी:
📅 तारीख: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
🗓️ तिथि: कार्तिक अमावस्या
🕯️ अवसर: महालक्ष्मी पूजन, दीपोत्सव, पारिवारिक अनुष्ठान
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (दीपावली 2025)
हिंदू ज्योतिष के अनुसार, दिवाली पर पूजा प्रदोष काल और स्थिर लग्न में करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
⏰ लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (अनुमानित समय)
-
शाम: 6:50 PM से 8:35 PM (स्थानीय पंचांग अनुसार हल्का परिवर्तन संभव)
-
प्रदोष काल पूजा: सूर्यास्त के बाद
-
स्थिर लग्न पूजा: वृषभ लग्न के दौरान

लक्ष्मी पूजा की सामग्री (पूजा सामग्री सूची)
पूजन से पहले इन चीज़ों की व्यवस्था ज़रूर करें:
- स्वच्छ पूजा स्थान
- लाल या पीले रंग का आसन/कपड़ा
- माता लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र
- कलश (जल, आम पत्ता, नारियल सहित)
- अक्षत (चावल), रोली, हल्दी
- दीपक (घी/तेल)
- धूप, अगरबत्ती
- सिंदूर और सुपारी
- फल, मिठाई, पान के पत्ते
- फूल (विशेषकर कमल, गेंदे का फूल)
- पंचमेवा, शहद, दूध और खीर सामग्री
- नैवेद्य थाली
- चांदी/तांबे का सिक्का
- बहीखाता/चोपड़ा (व्यापारियों के लिए)
लक्ष्मी पूजा की विधि (चरण-दर-चरण प्रक्रिया)
घर की शुद्धि और दीप सज्जा
- घर की सफाई कर दरवाजे पर तोरण और रंगोली बनाएं
- दरवाजे पर दीप रखें और मुख्य झोंपड़ी/आँगन को सजाएँ
पूजा स्थल की स्थापना
- लकड़ी या संगमरमर की चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएँ
- गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र रखें
- कलश की स्थापना करें
संकल्प और आह्वान
- आचमन, प्राणायाम और संकल्प मंत्र बोलें
- दीप जलाकर धूप-अगरबत्ती करें
गणेश की पूजा
“ऊँ गं गणपतये नमः” मंत्र से उनका पूजन करें
लक्ष्मी पूजन
माता को पुष्प, अक्षत, हल्दी, सिंदूर, नैवेद्य, दीप और कुमकुम अर्पित करें।
मंत्र जाप करें:
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
लक्ष्मी-गणेश आरती
- “जय लक्ष्मी माता” और “जय गणेश देवा” गाई जाती है
- थाली में कपूर जलाया जाता है
बहीखाता/व्यापार पूजन
- व्यवसायी “चोपड़ा पूजन” करते हैं
- नए लेखा वर्ष की शुरुआत का संकेत देते हैं
दीपदान और कांडील/दीप सज्जा
- घर, बालकनी, मंदिर, आँगन और चौखटों पर दीप जलाए जाते हैं
- यमराज और कूओं के पास भी दीप लगाए जाते हैं
दिवाली पर परिवार संग पूजा का महत्व
दिवाली केवल पूजा नहीं, बल्कि परिवार, एकता और कृतज्ञता का पर्व है।
कारण:
- सामूहिक ऊर्जा से सुख-समृद्धि आती है
- बच्चे परंपरा सीखते हैं
- बड़ों का आशीर्वाद मिलता है
- परिवारिक संबंध प्रगाढ़ होते हैं
- घर में सकारात्मकता और आध्यात्मिकता का प्रवाह होता है
माता लक्ष्मी तभी स्थाई निवास करती हैं जहाँ शुद्धता, भक्ति और पारिवारिक एकता हो।
धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएँ
- दीपदान और घर की सजावट
- व्यापारी समुदाय द्वारा चोपड़ा पूजन
- आरती, भजन और पारिवारिक प्रसाद ग्रहण
- दान-पुण्य और गरीबों को मिठाई/दीप देना
- फुलझड़ियों और दीपों से आनंदोत्सव
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि समृद्धि, पवित्रता, आनंद और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व है।
लक्ष्मी पूजन सही मुहूर्त और विधि से करने पर जीवन में धन, सौभाग्य और संतुलन कायम रहता है।
पूरे परिवार के साथ मिलकर की गई पूजा आध्यात्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्व रखती है।